भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2024 तिथि, समय, पूजा विधि और व्रत के नियम
0 0
Read Time:3 Minute, 44 Second

भाद्रपद पूर्णिमा हिंदू धर्म में विशेष रूप से भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा का दिन माना जाता है। यह दिन इच्छाओं की पूर्ति और नकारात्मकता से मुक्ति प्राप्त करने के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और पवित्रता के साथ पूजा करते हैं। 2024 में भाद्रपद पूर्णिमा 17 सितंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत और पूजा के माध्यम से भगवान विष्णु और चंद्र देव का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।

भाद्रपद पूर्णिमा 2024: तिथि और समय

  • भाद्रपद पूर्णिमा उपवास: मंगलवार, 17 सितंबर 2024
  • शुक्ल पूर्णिमा चंद्रोदय: शाम 06:03 बजे
  • उदय व्यापिनी भाद्रपद पूर्णिमा: बुधवार, 18 सितंबर 2024
  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 17 सितंबर 2024 को 11:44 पूर्वाह्न
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 18 सितंबर 2024 को 08:04 पूर्वाह्न

भाद्रपद पूर्णिमा 2024: पूजा विधि

  1. पवित्र स्नान: दिन की शुरुआत पवित्र स्नान से करें ताकि शरीर और मन की शुद्धि हो सके।
  2. संकल्प लेना: सत्यनारायण व्रत का संकल्प लें, जो इस दिन की पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
  3. घर और पूजा स्थल की सफाई: घर के पूजा स्थल को स्वच्छ करें, विशेषकर वह स्थान जहाँ पूजा की जाएगी।
  4. मूर्ति स्थापना: भगवान सत्यनारायण की मूर्ति और श्री यंत्र को पूजा स्थान पर स्थापित करें। पीले फूलों की माला से मूर्ति का श्रृंगार करें और तुलसी के पत्ते अवश्य अर्पित करें।
  5. दीप जलाना: घी का दीपक जलाएँ और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। पूजा के दौरान एक कलश भी स्थापित करें।
  6. सत्यनारायण कथा का पाठ: सूरज ढलने से पहले सत्यनारायण कथा का पाठ अवश्य करें।
  7. भोग अर्पण: पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और चीनी) और पंजीरी का भोग भगवान को अर्पित करें।
  8. आरती: पूजा के अंत में आरती करें।
  9. चंद्र पूजा: भगवान विष्णु की पूजा के बाद चंद्र देव को जल अर्पित करें और उनकी स्तुति करें।
  10. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्ति के बाद प्रसाद का वितरण करें।

क्या करें और क्या न करें

क्या करें:

  • व्रत को शुद्ध मन और सच्ची भक्ति के साथ शुरू करें।
  • पूजा स्थल को ठीक से साफ करें और भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अर्पित करें।
  • सत्यनारायण कथा को मन लगाकर और श्रद्धा के साथ पढ़ें।

क्या न करें:

  • पूजा समाप्त होने तक भोजन या पानी का सेवन न करें।
  • प्रसाद में लहसुन, प्याज या अन्य तामसिक वस्तुओं का प्रयोग न करें।
  • भोग और तुलसी के पत्तों का अर्पण किए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है, इन्हें अर्पित करना न भूलें।
Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *